चांदनी और सूरज
कहा चांदनी ने सूरज से,
तेरा मेरा साथ नहीं|
रात निकलना, दिन में ढलना,
तेरे बस की बात नहीं||
तुझे चाहिए नीला अम्बर,
काला तुझे नहीं भाता,
मैं तो हूँ चंदा की दासी,
मैं तो हूँ चंदा की दासी,
जो, दिन में नज़र नहीं आता||
लाल कमल तेरा हमजोली,
झिलमिल तारे मेरे साथी|
धूप हमेशा तेरा साया,
और मेरा दीया-बाती||
अगर चाँद दिन में आ जाये,
और तू चमके रातों में,
कायनात सारी हो जये,
उलट-पलट इन बातों में||
- Dr. Saroj Gupta
- Dr. Saroj Gupta
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ReplyDeleteI really love the poem...short and sweet.
ReplyDeleteI like the play of words between "Chandani" and "Sooraj"...a very unusual pairing.